Title | : | कश्मीरी किस्सागो |
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Author | : | Ruskin Bond |
Release | : | 2020-12-07 |
Kind | : | ebook |
Genre | : | Classics, Books, Fiction & Literature |
Size | : | 4244812 |
कोई चालीस साल पहले जब मैंने ये लोक और परी कथाएँ लिखी थीं तो मैंने एक वृद्ध कश्मीरी किस्सागो का उपयोग किया था; जो सर्दियों की शाम को अपनी अँगीठी जलाकर बैठ जाता था और लंढौर बाजार में अपनी दुकान पर आनेवाले बच्चों का मनोरंजन किया करता था। इस प्रकार ये सब आपके सामने हैं। इन कहानियों में वर्णित कश्मीर कभी का जा चुका है; लेकिन बच्चे अभी भी आस-पास हैं और मैं उनके बारे में समय-समय पर सुनता रहता हूँ। ‘नन्हा विजय’ अब पचास के करीब है; जबकि चुटियावाली शशि दादी बन चुकी है। मैं सोचता हूँ; क्या वे अपने बच्चों और पोते-पोतियों को कहानियाँ सुनाते होंगे या बस; उन्हें अपने लैपटॉप और टी.वी. सेटों के हवाले छोड़ देते होंगे? कहानी सुनाने की मौखिक परंपरा तो अब समाप्त ही हो चुकी है; लेकिन लिखे हुए शब्द अभी भी बने हुए हैं। ये इतनी आसानी से लुप्त नहीं होंगे। इनके माध्यम से हम अतीत की समीक्षा कर सकते हैं; बहुत पहले की दुनिया में विचरण कर सकते हैं और उसके प्राचीन जादू के कुछ अंश को प्राप्त कर सकते हैं। —रस्किन बॉण्ड (भूमिका से) बेहतरीन कहानीकार रस्किन बॉण्ड की ये लोक-परी कथाएँ आपको अपने बचपन में ले जाएँगी और आपको सोचने पर मजबूर करेंगी कि अब के बच्चों के बचपन से किस्सागोई कहाँ खो गई! |